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शिप्रा नदी हादसा: 60 घंटे से जारी सर्चिंग, दो पुलिसकर्मियों के शव मिले; महिला कॉन्स्टेबल अब भी लापता!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन में शिप्रा नदी में शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे के बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। इस हादसे में पुलिस की कार नदी में गिर गई थी, जिसमें सवार तीन पुलिसकर्मी बह गए। अब तक टीआई अशोक शर्मा और एसआई मदनलाल निनामा के शव बरामद किए जा चुके हैं, लेकिन कॉन्स्टेबल आरती पाल का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है।
कब-क्या हुआ?
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6 सितंबर: रात 8 बजे पुलिस की कार शिप्रा नदी में गिर गई। कार में टीआई अशोक शर्मा, एसआई मदनलाल निनामा और कॉन्स्टेबल आरती पाल सवार थे।
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7 सितंबर: सुबह 11 बजे टीआई अशोक शर्मा का शव मिला और उसी दिन उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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8 सितंबर: सुबह हादसे का सीसीटीवी वीडियो सामने आया। घटनास्थल से करीब 3 किलोमीटर दूर कार का बंपर मिला। शाम 4:30 बजे एसआई मदनलाल निनामा का शव भैरवगढ़ क्षेत्र से बरामद हुआ।
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9 सितंबर: तीसरे दिन भी कॉन्स्टेबल आरती पाल की तलाश जारी रही, लेकिन सफलता नहीं मिली।
130 जवान दो शिफ्ट में कर रहे सर्चिंग
हादसे के बाद से अब तक 60 घंटे से ज्यादा का सर्चिंग ऑपरेशन हो चुका है। इसमें NDRF, SDERF, होमगार्ड, पुलिस और मां शिप्रा तैराक दल के करीब 130 सदस्य लगे हुए हैं। सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक दो शिफ्टों में सर्चिंग की जा रही है।
रेस्क्यू टीम में शामिल NDRF की 30 सदस्यीय टीम डीप डायवर्स, वेल-ट्रेंड स्विमर्स, रोप, चार बोट, 8 ऑक्सीजन सिलेंडर, एयर पंप और लाइफ जैकेट की मदद से तलाशी अभियान चला रही है। इसके अलावा SDERF और होमगार्ड की 65 सदस्यीय टीम भी 5 किलोमीटर के एरिया में कार और लापता कॉन्स्टेबल को ढूंढ रही है।
कार का बंपर मिला, लेकिन कार नहीं
सोमवार को घटनास्थल से करीब 3 किलोमीटर दूर भर्तृहरि गुफा के पास कार का बंपर मिला। माना जा रहा है कि यह उसी कार का हिस्सा है। हालांकि, कार और उसमें फंसी महिला कॉन्स्टेबल का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।
40 फीट गहराई तक तलाशी, विजिबिलिटी ने बढ़ाई मुश्किल
रेस्क्यू टीम ने 40 फीट गहराई तक तलाशी की है। सोनार डिटेक्शन उपकरण का इस्तेमाल भी किया गया, लेकिन कार या आरती पाल का पता नहीं चल पाया। NDRF कमांडर दयाराम के अनुसार, नदी में मिट्टी और गंदगी की वजह से विजिबिलिटी बेहद कम है, जिससे गोताखोरों को कार तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है।
रेस्क्यू के दौरान बड़ा हादसा टला
सोमवार को सर्चिंग के दौरान मां शिप्रा तैराक दल के गोताखोर संतोष सोलंकी नदी के तेज बहाव में बहकर भंवर में फंस गए। कुछ देर के लिए रेस्क्यू टीम में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन संतोष ने साहस दिखाते हुए खुद को भंवर से बाहर निकालकर अपनी जान बचाई।
हादसे की वजह: पुल पर रेलिंग न होना
स्थानीय लोगों ने हादसे के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि हर साल बारिश से पहले पुल की रेलिंग हटा दी जाती है। अगर रेलिंग होती, तो यह हादसा टल सकता था।
PWD के पूर्व अधीक्षण यंत्री शोभा खन्ना ने बताया कि शिप्रा का यह पुल सबमर्सिबल ब्रिज है। ऐसे पुलों पर अस्थायी रेलिंग लगाई जाती है, जिसे बाढ़ से पहले हटा दिया जाता है। इस ब्रिज का निर्माण केंद्र सरकार ने कराया था और इसकी आधारशिला तत्कालीन परिवहन मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने रखी थी।
जांच पर जाने के लिए क्यों निकले थे तीनों पुलिसकर्मी?
सूत्रों के मुताबिक, उन्हेल थाने में पदस्थ SI अंतर सिंह मंडलोई को नाबालिग के अपहरण केस की जांच के लिए जाना था। लेकिन उनकी ड्यूटी गणेश विसर्जन में होने के कारण थाना प्रभारी अशोक शर्मा ने खुद जांच पर जाने का फैसला किया। उनके साथ ASI मदनलाल निनामा और महिला कॉन्स्टेबल आरती पाल भी रवाना हुए।
सरकारी गाड़ी स्टार्ट न होने पर तीनों आरती पाल की कार से चिंतामन थाना क्षेत्र के लिए निकले। रास्ते में कार शिप्रा नदी के पुल से अनियंत्रित होकर नदी में गिर गई और यह बड़ा हादसा हो गया।
फिलहाल कॉन्स्टेबल आरती पाल और उनकी कार की तलाश जारी है। रेस्क्यू टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन तेज बहाव और मिट्टी की वजह से अभियान मुश्किलों में घिरा हुआ है।